बेढंगी
मैं उजड्ड पहाड़ी नाला
सुर-सुस्सजित कंठ का अलाप नहीं
मैं अल्हड़ ठहाका मतवाला
ना विद्वानो के वेदों का ज्ञान गंभीर
मैं तो अधपके प्रेम पात्रो की स्याही
ना शिल्पकारो की तराशी मूरत कठोर
मैं कुम्हार के चाक की रिसती सुराही
तुतलाते होठों के अस्पष्ट शब्द मैं
कंपकपाती कूची की छटा बदरंगी
मैं किसी नौसिखिये की रचना बेढंगी
मैं किसी नौसिखिये की रचना बेढंगी
- अक्षय सिंह
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